आरक्षण का खेल

फ़ेस-बुक पर श्री रमेश डागा ने गुजरात पटेल समुदाय की आरक्षण मांग के विरोध में एक पोस्ट दी, उनकी सहमति में –

बहुत हो गया दोस्तों आरक्षण का खेल। राज करें मूरख-जाहिल, सज्जन जाते जेल।।

सज्जन भरते जेल, गये अड़सठ वर्षों से्। पिछड़ गया है देश, दुष्ट इस वोट नीति से॥

सहमत साधक रमेशजी से आज हो गया। आरक्षण का खेल दोस्तों बहुत हो गया॥ 1।

अगड़े-पिछड़े भेद का, यह तो नहीं इलाज। कुपात्रों के हाथ में, सिमट जाये सब राज!

सिमट गया है राज, दुर्योधन हाथों में। ढूंढ रहा है राह, निर्र्थक सी बातों में॥

साधक आचरणों से भारत होता अगड़े। आरक्षण से कभी मिटे ना अगड़े-पिछड़े॥2।

घिस जाते हैं शब्द, अर्थ से दूर भटकते। खुद अपना ही अर्थ, कहीं ग्रन्थों में पढते!

ग्रन्थों में पढकर किसने पाया है बोलो। अरे साथियों अब अपना अन्तर्पट खोलो॥

साधक कितनी बार कृष्ण गीता दोहराते। शब्द आचरित न हों तो जल्दी घिस जाते॥3

अब ‘पटेल’ तक आ गये, है मैदाने जंग। खुद ‘सरदार’  ही हो रहे, देश-भक्ति में तंग॥

देश-भक्ति में तंग, न्याय-कानून दंग है। संविधान पर प्रश्न-चिह, कैसा ये रंग है?

साधक इस मन्थन से निकले, अमृत जब तक।  जारी रखना प्रश्न ‘हार्दिक पटेल’ तब तक॥4

नोट – मोदी के गुजरात ने उठाया है बीड़ा, शुभकामना हार्दिक! अपनी तीक्ष्ण मेधा को सही दिशा में मुड़ने तक टूटने न देना। तुम्हारी चाहतों के साथ भारत का भविष्य बन्धा है। इस सड़े-गले तन्त्र को अपने बोझ तले टूटने दो। खुद अपने बनाये जाल में फ़ंस रही है न्याय-कानून व्यवस्था। अब ये टकरायेंगी संविधान से। भारत के घर में महाभारत तय है। आशा की जाये कि यह महाभारत पुनः प्रकटाये केशव को, पुनः उतारे गीता! वर्तमान गीता! डटे रहो अर्जुन!

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